बंगा 3अप्रैल (मनजिंदर सिंह )
श्री एस. एस. जैन सभा बंगा के सेक्रेटरी युवा श्रेष्ठी रोहित जैन ने कहा की अहिंसा के अवतार जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर श्रमण भगवान महावीर स्वामी जी संसार के अद्भूत सूर्य थे l जिनकी जिनवाणी का झरना समस्त विशव में बहता है l जिनके ज्ञान- अलोक से लाखों ह्रदयों में सत्य और सदभावों का प्रकाश जगमगाया जिससे लाखों मनुष्यों ने अपना कल्याण किया l तीर्थकर भगवान महावीर के जीवन में सत्य, प्रेम, करुणा, उदारता, निभीर्कता,दृढ़, संकल्प, साहस सहनशीलता आदि सद्गुण कूट कूट कर भरे थे l इन्हीं सदगुणों के बल पर वह एक महापुरुष और भगवान के रूप में संसार में पूज्य बने, आत्मा से परमात्मा बने lतीर्थकर महावीर स्वामी ने जैन धर्म के मुख्य पंचशील सिंद्धांत बताए, जिनमें सत्य, अहिंसा, अपरिग्रह, अस्तेय, और ब्रह्राचर्य शामिल है। उन्होंने अपने उपदेशों के माध्यम से लोगों को सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलने की शिक्षा दी। यही कारण है की आज भी समस्त संसार उनके सिद्धांतो / उपदेशों को श्रद्धापूर्वक सुनता है और उन पर चल कर शांति और आनन्द प्राप्त करना चाहता है l भगवान महावीर ने फ़रमाया है कि जिसका हृदय सरल होता है वही धर्म निवास करता है l तीर्थंकर भगवान महावीर के उपदेशों का सार यही है अपनी इच्छाओं पर सयंम करो, आवश्यकताओं को कम करो और जो मिला है उसे नीलिर्पत भाव से भोगो, भोग में भी त्यागी की तरह रहो, काम करते हुए भी उसकी आसकित से दूर रहो l तभी जीवन में सुख शांति और आनंद का अनुभव कर सकोगे lइसके साथ ही उन्होंने न सिर्फ लोगों को मानवता का पाठ पढ़ाया बल्कि जीवों पर दया करना, एक–दूसरे से प्रेम करना, परोपकार करना भी सिखाया। अहिंसा को सबसे उच्चतम गुण बताने वाले भगवान महावीर स्वामी जी का पूरा जीवन प्रेरणास्त्रोत है। उन्होंने तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी जी के 2622वें जन्म कल्याणक के शुभ अवसर पर समस्त जैन समाज को बधाई दी l
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